सुविचार
आपदा में ही सिद्धान्त की परीक्शा होती है।
उसके बिना व्यक्ति को अपनी नेकी की ज्ञान
ही नही हो पाता है ।
परिवार
हमारा परिवार सयुक्त परिवार है।
जिसमें दादा-दादी,चाचा-चाची ,
पापा- मम्मी और बच्चे है।
संयुक्त परिवार में बच्चौं को मिलजुलकर
रहने का पाठ पढ़ाना नहीं पड़ता है।
वे अपने आप सीख जाते हैं।
मेरा भतीजा प्रिंस एक दिन द्वार पर
खड़ा था।
हमारे यहां एक गाय और उसका बछड़ा रोज़
की तरह आकर खड़े हो गए।
उन्हे देखकर प्रिंस ने अपनी तुतलाती
आवाज़ लगाकर कहा,
‘मम्मा, गाय आ दई, रोटी दे दो।’
उसकी मम्मा रोटी लेकर आती,
तब तक प्रिंस ने बछड़े से पूछा, ‘ये तेली
मम्मा है या दडी मम्मा है?’
दो वर्ष के मासूम के मुंह से यह सुनकर घर
के सारे बड़ों का दिल गदगद हो गया।
@हेमेन्द्र कुशवाह
मो•9252624380
अज्ञात
हर मामले के दो ही नतीजे होते हैं……
या तो आपको जीत मिलती हैं,
या सीख मिलती हैं!
जीत का ही नही, सीख का भी स्वागत करें…